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परियोजना का नाम
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जनपद देवरिया में एसआरआई पद्धति से धान उत्पादन वृद्धि हेतु एफ॰टी॰टी॰एफ॰
परियोजना
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कार्यान्वयन
एजेंसी का नाम
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भानू फाउन्डेशन रिसर्च एवं डेवेलपमेंट, गड़ेर, जनपद देवरिया
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गतिविधि
का नाम
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तीन वर्ष
के भीतर 16
ग्रामों के 560 प्रगतिशील कृषकों के माध्यम से 192 हैक्टेयर
क्षेत्र में प्रक्षेत्र प्रदर्शन के माध्यम से श्री पद्धति से धान की खेती करना
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4
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परियोजना
क्षेत्र (तहसील / ब्लॉक / गांव का नाम)
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बैरौना, पिपरा मिश्र, एकड्ंगा, मठिया, बहोर, सोनखरिका, परसिया, पिपरडांनी, गड़ेर, बभनी, बरवां, हरखौली, चमुखा, मझवलिया, बारीपुर, पानपुर जो विकास
खण्ड भलुवनी और देवरिया (सदर) के अंतर्गत अवस्थित ग्राम हैं।
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5
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परियोजना
की अवधि
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जून 2011 से सितंबर 2013 तक ( तीन खरीफ फसल हेतु )
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परियोजना
की कुल लागत
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₹ 17.12 लाख
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7
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नाबार्ड
का अंशदान
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₹ 17.12 लाख
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एजेंसी
/ अन्य अंशदान
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क्रिटिकल कृषि आगतों यथा कोनोवीडर, मार्कर, वर्मीकम्पोस्ट, ढईचा के बीज के साथ क्षमता वर्धन, अनुप्रवर्तन आदि के लिए नाबार्ड अनुदान सहायता को
छोड़कर शेष कृषि आगतों का वित्तीय प्रबंधन कृषको ने स्वम किया।
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छादित
प्रतिभागियों / लाभार्थी / एरिया की
संख्या (एकड़)
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524 प्रगति शील कृषकों
द्वारा 583 प्रक्षेत्र
प्रदर्शन माध्यम से कुल 211 एकड़ क्षेत्र श्री पद्धति से आच्छादित किया गया।
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परियोजना
के परिणाम / लाभ (लाभान्वित क्षेत्रफल
/ लाभान्वित किसानों की संख्या / उत्पादकता / प्रति किसान की आय में वृद्धि प्रतिवर्ष )
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तीन वर्ष के दौरान सामान्य पद्धति के तुलना में श्री पद्धति के अंतर्गत
औसत उत्पादकता में 43.45 से 60.96 प्रतिशत की वृद्धि हुई । पूरे परियोजना अवधि
के दौरान औसत उत्पादकता में 54.03 प्रतिशत के वृद्धि प्राप्त की गयी।
कृषि आगतों के कुल लागत में ₹1500
से ₹1600 प्रति हे॰ की बचत रिपोर्ट की गयी है। परंतु यदि किसान स्वम के निर्मित
वर्मी कम्पोस्ट का प्रयोग करता है तो ₹5400
प्रति हे॰ की अतिरिक्त कमी और हो सकती है।
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परियोजना
के प्रभाव और क्या इसे अन्य स्थानों पर दोहाराया जा सकता है
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परियोजना का प्रभाव सकारात्मक रहा है । इन प्रक्षेत्र प्रदर्शनों से इस
बात को बल मिला है श्री पद्धति के माध्यम से धान की पैदावार वृद्धि के साथ-साथ
कृषि आगतों के लागत कम की जा सकती है।
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कोई
भी अन्य उल्लेखनीय बात
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शस्य पद्धति की क्रियान्वन के अनुभव से यह बात सामने आयी है कि कृषकों को
सामान्य पद्धति की तुलना में 1.5 गुना उत्पादन प्राप्त होने पर भी शस्य पद्धति
को अपनाने में कठिनाई महशूस कर रहें है । चूंकि धान की ट्रांसप्लांटिंग सामान्यतः
कृषि मजदूरों द्वारा किया जाता है अतः इस पद्धति को आगे बढ़ाने में कठिनाई हो रही
है। पैड़ी ट्रांसप्लांटर से धान की बुआई क्रिया-प्रणाली श्री पद्धति के काफी करीब
है अतः इस पद्धति को फार्म-मशीनीकरण के माध्यम से अग्रसर करने पर किसान को
अपनाने में सहूलियत होगी।
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Augmenting Rice Productivity by System of Rice Intensification in District Deoria (U.P.)
Friday 21 August 2015
जनपद देवरिया में श्री पद्धति ( SRI ) से धान के खेती के द्वारा उत्पादकता में वृद्धि
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